संदेश

प्राकृतिक सौन्दर्य साधन :और लाभ

चित्र
 नमस्कार पिछले पोस्ट में हमने केमिकल मिश्रित हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के बारे में पढ़ा जिनमे मौजूद हानिकारक रसायन तत्काल सुंदरता प्रदान तो करते है परन्तु इनका दूरगामी परिणाम काफी भयाभय होता है जो कई बीमारियों के साथ गंभीर चर्म रोग तथा कैंसर तक के सम्भावना पैदा कर सकते है। तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक बस्तुओं से भी हम नेचुरल रूप से चेहरे तथा बालों, शरीर की त्वचा आदि का उचित और सम्पूर्ण देखभाल कर सकते है तो आइये आज जानते है हमारे आसपास मौजूद आसानी से पाए जाने वाले प्राकृतिक वस्तुएँ जों हमें बिना किसी साइड इफेक्ट और हानि पहुचायें हमें खूबसूरत बनाने में मदद करती है चेहरे पे कालापन दूर करने के उपाय? गर्मीयों में धुप की वजह से या फिर अत्यधिक बाहर काम करने के कारण अगर त्वचा में कलापन आ गया हो तो निम्नलिखित घरेलु उपायों के द्वारा अपने चेहरे पे निखार ला सकतें है। 1* शहद और नीबू का रस बराबर मात्रा लेकर चेहरे पर लगा ले और थोड़ी देर सूखने के बाद इसे धो ले इस प्रक्रिया को नियमित करने पर प्राकृतिक रूप से चेहरे का कालापन दूर होता है 2*मसूर दाल और दूध को पेस्ट बनाकर चेहरे पे लगाना और थोड़ी देर सूखने पर धो ले

कॉस्मेटिक :सौन्दर्य और प्रभाव

चित्र
 कॉस्मेटिक उत्पाद आधुनिक युग में जीवन का एक महत्व पूर्ण अंग बन गया है महिलाएं विभिन्न प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पाद का प्रयोग अपने सौन्दर्य कोई बढ़ाने के लिए करती आ रही है परन्तु आजकल इनका प्रयोग अत्यधिक मात्रा में बढ़ गया है। तुलानात्मक रूप से पुरुषो में भी कॉस्मेटिक का प्रयोग होने लगा है लोग सुन्दर दिखने के लिए बाजार में उपलब्ध मौसम के हिसाब से पाए जाने वाले सौन्दर्य उत्पाद का प्रयोग करते है। ख़तरनाक हो सकते है सौन्दर्य उत्पाद? मौसमो के हिसाब से अलग अलग प्रकार के कॉस्मेटिक प्रोडक्ट हानिकारक रसायनो के मिश्रण की वजह से हमारे लिए खतरनाक साबित भी हो सकते है, हालांकी बाजार में उपलब्ध होने से पूर्ब इन्हे कई तरह की जाँच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिनमे प्रमुख रूप से जानवरो की स्किन में इसका टेस्ट होता है और इसका साइड इफ़ेक्ट देखे जाते है कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में  ब्लीच, आर्टिफीसियल कलर, तथा अन्य प्रकार के अल्कोहल, हाइड्रोक्वीनोन, पैरबेन आदि ख़तरनाक रासायनिक मिश्रण कई तरह के चर्म रोग, कैंसर, तथा आँखों की रोशनी में कमी आदि का कारण बन सकती है ब्यूटी प्रोडक्ट के इस्तेमाल से होनेवाली बीमारियां? त्वचा क

रासायनिक खाद :और दुष्परिणाम

चित्र
 नमस्कार, आज के चर्चा का विषय रासायनिक खाद है, फसलों में बड़ी मात्रा में रासायनिक मल का उपयोग होता है जो फसलों की गुणवत्ता और पैदाबार को बढ़ाने में मदद करता है परन्तु क्या आपको इसके दुष्परिणाम जो दीर्घकालीन तथा अल्पकालीन रूप में गंभीर हो सकते है रासायनिक खाद का पर्यावरण पर असर रासायनिक खाद का पर्यावरण पर गहरा असर पड़ता है रासायनिक खाद के प्रयोग से मट्टी, जल, तथा वायु तीनो समय रूप से प्रभावित होते है। क़ृषि में प्रयुक्त रासायनिक खाद से सूक्ष्म जीव समूह तथा वनस्पति समूह में विशेष रूप से नुकसान पंहुचाते है मट्टी में उत्पादन क्षमता में कमी आना, बार बार के प्रयोग से जमीनों में बंजर पन होना यूरिया, डी ए पी, तथा अन्य रासायनिक उर्वरक की वजह से मट्टी से प्राकृतिक तत्त्व लोप हो रहें है मट्टी के कणो में जल संग्राही क्षमता कम हो गई है  जिससे मट्टी में नमी की कमी के कारण अधिक सिंचाई आदि की आवस्यकता, यूरिया के प्रभाव से ग्रीन हाउस गैसो, तथा ओजोन के परत को भी नुकसान हो रहा है कुछ किट किसानो के मित्र भी होते है जों पैदावार बढ़ाने में मदद करते है पर रासायनिक खेती में आधारित क़ृषि ने इन्हे समाप्त कर डाला सिंच

भविष्य में होने वाले नये ख़तरनाक वायरस आतंक

चित्र
महामारी : और उसका भविष्य नमस्कार 🙏 पिछले कुछ दिनों में हमने कुछ ऐसे वायरस का सामना किया है जो मानव जाति के लिए खतरनाक और महामारी का रूप लेकर आए हैं, जहां इबोला, स्पेनिश फ्लू, स्वाइन फ्लू, कोरोना, आदि कोरोना का खतरा काफी ज्यादा था ।  इसका प्रभाव इतना ज्यादा था की पुरा  विश्व  ठप्प हो गया, ऑक्सीजन की कमी होने लगी मेडिकल और मेडिकल सामग्री भी, महामारी से जूझने के लिए कम पड़ने लगी लिए, हवाई उड़ान में रोक लगा दी गई, कई देशों में लॉकडाउन लगा दिया गया लोगों को अत्यावश्यक काम के अलाबा घरों से निकना मना कर दिया गया। फैक्टरी स्टोर, बंद हो गये मजदूर अपने गांव लौट गए विश्व अर्थव्यवस्था  वास्तव में ही सुन्न सा ही हो गया यह एक बेहद ही दिल दहला देने वाला मंज़र था। पिछले समय की महामारियों से हम वाफिक हैं लेकिन क्या हमने भविष्य में कभी हो सकने वाली महामारी के बारे में सोचा है क्या, क्या होगा भविष्य में अगर कोई कोरोना से भी शक्तिशाली वायरस का आक्रमण होता है, तो इसके परिणाम क्या होंगे तो आइए जानते हैं भविष्य में क्या इस तरह की महामारी आ सकती है उसका परिणाम कैसा होगा, महामारी का असामान्य होने पर कैसा मंजर

सर्दियों का मौसम: बीमारिया तथा बचाव

चित्र
 नमस्कार दोस्तों सर्दीयों का मौसम सुरु होते ही कई तरह की बीमारियां भी सुरु हो जाती है, बच्चों बूढ़ो के लिए यह मौसम कभी भी संकट पैदा कर सकता है यदि साबधानियां अपनाई नहीं जाय तो बदलते मौसम के कारण शरीर में कई मौसमी बीमारियां जैसे सर्दियों, जुकाम, बुखार, आँखों में फ़्लू आदि, आइये आज ऐसे ही कुछ बीमारियों के ऊपर चर्चा करेंगे जों अक्सर सर्दियों के प्रभाव से होते है 1*नजला जुकाम सर्दियों में अत्यधिक ठण्ड की वजह से नाक का बहना, बंद नाक जुकाम छिंक आना  बुखार रहना तेज़ सर दर्द आदि इसे रॉस्पिरेटरी इन्फेक्शन कहते है इस से बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैँ, इस तरह की बीमारी से बचने के लिए ठण्ड से बचना चाहिए साथ ही पिने के लिए उष्ण जल का उपयोग करना चाहिए बासी तथा ठन्डे भोजन से बचना चाहिये तरल पदार्थो का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए 2*इन्फेलुइंज़ा इन्फेलुइंज़ा सामान्य तौर पर एक प्रकार का फ्लू होता है तेज़ बुखार, गले में खराश सर दर्द बदन में जकड़न मांसपैशिओं में दर्द रहना खांसी आदि इन्फेलुइंज़ा के सामान्य लक्षण है यह इन्फेलुइंज़ा नमक वायरस के कारण फैलता है, विशेषतः इन्फेलुइंज़ा में अपने चिकित्सक के सलाह नुसार

बढ़ते बच्चों का पोषण

चित्र
 नमस्कार, दोस्तों आज हम एक ऐसे विषय में चर्चा करेंगे जो विषय काफि महत्वपूर्ण है। और बच्चों के विकास से जुडी हुई है, जो विषय है बढ़ते उम्र के बच्चों के मानसिक तथा शारीरिक विकाश हेतु किस तरह का आहार पोषण आवश्यक होता है. बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक विकास हेतु :पोषण बढ़ती आधुनिक वातावरण का प्रभाव अब सिर्फ शहरों का ही विषय नहीं है यह गाओं की भी समस्या बन गयी है जो हमारी खानपान से जुडी मान्यताओ को विस्थापित कर रही है अब बच्चे भी घरेलु भोजन सामग्री से ज्यादा, बाजार के डिब्बाबंद खाध्य वस्तुओं तथा बाहर के कई तरह के फ़ास्ट फ़ूड का उपयोग करना पसंद करते है माता पिता भी अपनी सहजता के लिए इसी तरह के खाद्य वस्तुओं को प्राथमिकता देने लगे है परन्तु जब ऐसी वस्तुओं का उपयोग जो हमारे वातावरण में अनुकूल नही होते है तो यह सभी हमें रोग ग्रस्त तथा हमें कमजोर बना सकते है जो कभी भी हमारे बच्चों के मानसिक तथा शारीरिक विकाश को आगे नहीं बढ़ा सकते है. बच्चों के उम्र के अनुसार उनकी पोषण सम्बंधी आवस्यकता अलग अलग होती है और बच्चों में उनकी भोजन रूचि भी अलग अलग होती है जो उम्र के साथ बदलती रहती है इन स्थितियों का ध्यान रखत

पालतू पशु से मनुष्यों में संक्रमण :रोग तथा रोकथाम

चित्र
 नमस्कार मित्रों, आज एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहें है जो हम सभी को किसी ना किसी प्रकार से प्रभाबित करता है, जाहे गाओं हो या शहरों की बात हो पालतू पशु हमारे जीवन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए है, गाओं में जीबन यापन के लिए मवेशीयों का पालन पोषण सामान्य रूप से होता है, शहरों में शौक से कुछ लोग कुत्ते, बिल्लियाँ तथा कई प्रकार के पंछियो को पालना आम बात है कई जगह व्यावसायिक रूप से भी बड़ी संख्या में पशु तथा पक्षी पालन होता है, सामान्य सी बात है पशु है तो इनको बीमारियां होंगी, परन्तु कई, रोग जो मनुष्यों में संक्रमण का कारण बन सकती है. आज कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में चर्चा करेंगे जों पशु तथा उनके उत्पादों द्वारा मनुष्यों में फैलने का खतरा बना रहता है..। 1*लैपटॉस्पॉरोसीस वायरस लैपटस्पॉरोसीस वायरस अक्सर जानवरो के मल मूत्र द्वारा फैलता है यह वायरस का संक्रमण, संक्रमित भोजन, जल आदि के उपयोग से फैलता है, यह वायरस सीधे किडनी तथा लिवर में आक्रमण करता है इस वायरस के प्रभाव से अंदरूनी रक्त प्रवाहित होने के कारण जानलेवा भी बन सकती है 2*कैंफ़िलोबैक्टर बैक्टीरिया यह बैक्टीरिया जानबरों के