प्राकृतिक सौन्दर्य साधन :और लाभ

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 नमस्कार पिछले पोस्ट में हमने केमिकल मिश्रित हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के बारे में पढ़ा जिनमे मौजूद हानिकारक रसायन तत्काल सुंदरता प्रदान तो करते है परन्तु इनका दूरगामी परिणाम काफी भयाभय होता है जो कई बीमारियों के साथ गंभीर चर्म रोग तथा कैंसर तक के सम्भावना पैदा कर सकते है। तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक बस्तुओं से भी हम नेचुरल रूप से चेहरे तथा बालों, शरीर की त्वचा आदि का उचित और सम्पूर्ण देखभाल कर सकते है तो आइये आज जानते है हमारे आसपास मौजूद आसानी से पाए जाने वाले प्राकृतिक वस्तुएँ जों हमें बिना किसी साइड इफेक्ट और हानि पहुचायें हमें खूबसूरत बनाने में मदद करती है चेहरे पे कालापन दूर करने के उपाय? गर्मीयों में धुप की वजह से या फिर अत्यधिक बाहर काम करने के कारण अगर त्वचा में कलापन आ गया हो तो निम्नलिखित घरेलु उपायों के द्वारा अपने चेहरे पे निखार ला सकतें है। 1* शहद और नीबू का रस बराबर मात्रा लेकर चेहरे पर लगा ले और थोड़ी देर सूखने के बाद इसे धो ले इस प्रक्रिया को नियमित करने पर प्राकृतिक रूप से चेहरे का कालापन दूर होता है 2*मसूर दाल और दूध को पेस्ट बनाकर चेहरे पे लगाना और थोड़ी देर सूखने पर धो ले

रासायनिक खाद :और दुष्परिणाम

 नमस्कार, आज के चर्चा का विषय रासायनिक खाद है, फसलों में बड़ी मात्रा में रासायनिक मल का उपयोग होता है जो फसलों की गुणवत्ता और पैदाबार को बढ़ाने में मदद करता है परन्तु क्या आपको इसके दुष्परिणाम जो दीर्घकालीन तथा अल्पकालीन रूप में गंभीर हो सकते है



रासायनिक खाद का पर्यावरण पर असर

रासायनिक खाद का पर्यावरण पर गहरा असर पड़ता है रासायनिक खाद के प्रयोग से मट्टी, जल, तथा वायु तीनो समय रूप से प्रभावित होते है। क़ृषि में प्रयुक्त रासायनिक खाद से सूक्ष्म जीव समूह तथा वनस्पति समूह में विशेष रूप से नुकसान पंहुचाते है मट्टी में उत्पादन क्षमता में कमी आना, बार बार के प्रयोग से जमीनों में बंजर पन होना यूरिया, डी ए पी, तथा अन्य रासायनिक उर्वरक की वजह से मट्टी से प्राकृतिक तत्त्व लोप हो रहें है मट्टी के कणो में जल संग्राही क्षमता कम हो गई है  जिससे मट्टी में नमी की कमी के कारण अधिक सिंचाई आदि की आवस्यकता,

यूरिया के प्रभाव से ग्रीन हाउस गैसो, तथा ओजोन के परत को भी नुकसान हो रहा है

कुछ किट किसानो के मित्र भी होते है जों पैदावार बढ़ाने में मदद करते है पर रासायनिक खेती में आधारित क़ृषि ने इन्हे समाप्त कर डाला

सिंचाई आदि के माध्यम से फसलों में प्रयुक्त खाद नदी नालो तथा जलासयों में पहुँचता जिसके कारण जल प्रदुषण होता है

रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग से मट्टी में अम्ल की मात्रा बढ़ती है जिसके कारण अम्लीय वर्षा का खतरा बना रहता है


रासायनिक उर्वरक का मानव स्वास्थ्य पर असर


जहाँ रासायनिक खाद पर्यावरण के लिए घातक होते है वही ये मनुष्यों के लिए भी हानिकारक होती है



कृत्रिम रूप से निर्मित रासायनिक खाद तथा किटनाशक के प्रयोग से मनुष्यों में तत्काल प्रभाव नहीं होता यह समय के साथ अपना असर दिखाता है करसिजॉनिक, कैंसर उत्पन्न करने वाले, तथा टअरटूजनिक टूमेरो जनिक आदि जो मनुष्यों के लिए ट्यूमर, तथा पक्षघात का कारण बनते है रासायनिक उर्वरक से उत्पादित अनाज स्वास्थ्य के लिए कभी भी उपयुक्त नहीं होती है


उर्वरक में प्रयुक्त नाईट्राईट, जो पानी में एक लम्बी अबधि के लिए मौजूद रहते है यह दूषित जल मेथेमोग्लोबिनेमिया नामक रक्त विकार का कारण बन सकता है जिसे ब्लू बेबी सिंड्राम भी कहा जाता है

हालिया अध्ययन में  अल्जाइमर रोग और मधुमेह मैलेट्स में होने वाली मौतो के वृद्धि में पर्यावरण तथा भोजन में मौजूद नाइट्रेट की बढ़ती मात्रा में सम्बन्ध पाया गया है


सिंथेटिक उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग का स्वास्थ्य जोखिम पर एक दूसरा कारण इससे कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है इनमे प्रॉस्टेट कैंसर, मस्तिष्क कैंसर, ल्यूकेमिया, और लिमफोमा,शामिल है  और भी ढेर सारे स्वास्थ्य समस्याये उत्पन्न होती है 

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