प्राकृतिक सौन्दर्य साधन :और लाभ

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 नमस्कार पिछले पोस्ट में हमने केमिकल मिश्रित हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के बारे में पढ़ा जिनमे मौजूद हानिकारक रसायन तत्काल सुंदरता प्रदान तो करते है परन्तु इनका दूरगामी परिणाम काफी भयाभय होता है जो कई बीमारियों के साथ गंभीर चर्म रोग तथा कैंसर तक के सम्भावना पैदा कर सकते है। तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक बस्तुओं से भी हम नेचुरल रूप से चेहरे तथा बालों, शरीर की त्वचा आदि का उचित और सम्पूर्ण देखभाल कर सकते है तो आइये आज जानते है हमारे आसपास मौजूद आसानी से पाए जाने वाले प्राकृतिक वस्तुएँ जों हमें बिना किसी साइड इफेक्ट और हानि पहुचायें हमें खूबसूरत बनाने में मदद करती है चेहरे पे कालापन दूर करने के उपाय? गर्मीयों में धुप की वजह से या फिर अत्यधिक बाहर काम करने के कारण अगर त्वचा में कलापन आ गया हो तो निम्नलिखित घरेलु उपायों के द्वारा अपने चेहरे पे निखार ला सकतें है। 1* शहद और नीबू का रस बराबर मात्रा लेकर चेहरे पर लगा ले और थोड़ी देर सूखने के बाद इसे धो ले इस प्रक्रिया को नियमित करने पर प्राकृतिक रूप से चेहरे का कालापन दूर होता है 2*मसूर दाल और दूध को पेस्ट बनाकर चेहरे पे लगाना और थोड़ी देर सूखने पर धो ले

पालतू पशु से मनुष्यों में संक्रमण :रोग तथा रोकथाम

 नमस्कार मित्रों, आज एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहें है जो हम सभी को किसी ना किसी प्रकार से प्रभाबित करता है, जाहे गाओं हो या शहरों की बात हो पालतू पशु हमारे जीवन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए है, गाओं में जीबन यापन के लिए मवेशीयों का पालन पोषण सामान्य रूप से होता है, शहरों में शौक से कुछ लोग कुत्ते, बिल्लियाँ तथा कई प्रकार के पंछियो को पालना आम बात है कई जगह व्यावसायिक रूप से भी बड़ी संख्या में पशु तथा पक्षी पालन होता है, सामान्य सी बात है पशु है तो इनको बीमारियां होंगी, परन्तु कई, रोग जो मनुष्यों में संक्रमण का कारण बन सकती है. आज कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में चर्चा करेंगे जों पशु तथा उनके उत्पादों द्वारा मनुष्यों में फैलने का खतरा बना रहता है..।

1*लैपटॉस्पॉरोसीस वायरस



लैपटस्पॉरोसीस वायरस अक्सर जानवरो के मल मूत्र द्वारा फैलता है यह वायरस का संक्रमण, संक्रमित भोजन, जल आदि के उपयोग से फैलता है, यह वायरस सीधे किडनी तथा लिवर में आक्रमण करता है इस वायरस के प्रभाव से अंदरूनी रक्त प्रवाहित होने के कारण जानलेवा भी बन सकती है

2*कैंफ़िलोबैक्टर बैक्टीरिया



यह बैक्टीरिया जानबरों के मल में पाया जाता है,जो पालतू पशुओं के शरीर के अंगों , तथा बालों के द्वारा मनुष्यों में संक्रमण फैलाता  है इस बैक्टीरिया के प्रभाब से पाचन शक्ति का बिगड़ना, दस्त, उल्टियां तेज़ बुखार, फेफड़ों में तेज दर्द महसूस होना आदि,

3*रेबीज









कुत्ते के काटने से रेबीज़ का रोग होता है यह जानलेवा बीमारी है रेबीज़ के जीवाणु बिशेषत: कुत्ते के शरीर में होता है जों इसे नुकसान नहीं पंहुचाते परन्तु इसके द्वारा काटे हुए प्राणी या फिर जानवर को रेबीज़ रोग से ग्रसित करते है.पालतू जानवरो में अलग अलग लक्षण देखने को मिलते है, जैसे व्यवहार में परिबर्तन, बुखार, भूख की कमी अकेले रहना, अचानक मृत्यु आदि, मनुष्यों में रबिज़ के लक्षण, कुत्ते की तरह काटने की कोशिश करना, अचानक आवाज़ में परिबर्तन, व्यवहार बदलना, भ्रम  चिंता शरीर के बिभिन्न हिस्सों में खुजली आदि

4*बर्ड फ्लू




H1N5 वायरस प्राकृतिक रूप से जंगली पक्षीओं में होता है परन्तु यह घरेलु पक्षियों तथा पक्षी फार्म में भी आसानी से फ़ैल सकता है यह रोग संक्रमित पक्षियों के मल मूत्र तथा उनके लार, आँखों आदि से निकलने वाली कचरे के संपर्क में आने से मनुष्यों में भी फैलता है पक्षियों के अंडो तथा मांस का उपयोग अच्छी तरह से नहीं पके हुये होने पर खाने से भी इसके संक्रमण का खतरा रहता है मनुष्यों में इसके विशेष लक्षण है तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, श्वसन नली में  संक्रमण का होना आदि 

5*स्वाइन फ़्लू



H1N1वायरस एक प्रकार का इन्फेलुंजा वायरल इन्फेक्शन है विशेष रूप से यह वायरस सूअरों द्वारा मनुष्यों में फैला  था, यह काफी तेजी से फैलने में सक्षम है स्वाइन फ़्लू के अधिकांश लक्षण इन्फेलुन्जा से मिलते जुलते है इसमें बुखार, सिरदर्द, ठण्ड लगना, खांसी गले में खरास आदि सामान्य लक्षण है

 पालतू पशओं से होने वाले अन्य रोग

कई और भी अन्य प्रकार के रोग है जो आप अपने पशुओं के सानिध्य में आने से प्राप्त कर सकते है 
जैसे

रिंगवर्म



यह फंगल संक्रमण के कारण होता है यह फफूँदी जैसा परजीवी होता है जो बाहरी त्वचा की कोशिकाओं में पनपता है दाद हुए जानबर को छूने आदि से दाद का संक्रमण मनुष्यों में होता है, इसके लक्षण खुजली होना तथा लाल चकते बनाना होता है 

राउंडवर्म



राउंडवर्म मनुष्यों के आँतो में लार्वा प्रयुक्त किडे है, लार्वा छोटी आतों में व्यस्क किड़ो के रूप में बड़े होते है यह सीधे जानवरो या मनुष्यों द्वारा नहीं फैलता यह संक्रमित जानवरों के मल का मट्टी के संपर्क में आने पर हुए संक्रमण जल में अंडे आदि द्वारा मनुष्यों में फैलता है इसके लक्षण काफ़ी घातक होते है, बच्चों की वृद्धि का रुक जाना, भूख की कमी, प्यास लगना पेट दर्द, थकान, दस्त होना खुनी मल आदी

हूँकवर्म



हूँकवर्म मनुष्यों तथा जानवरो की आंतो में रहने वाला एक परजीवी है यह भी पशुओं तथा मनुष्यों के मल के माध्यम से फ़ैलते है यह भी लार्वा का मनुष्य की आंतो में कीड़े बनने की प्रक्रिया होती है. इसके लक्षण में बुखार खांसी, पेटदर्द भूख की कमी आदि है 

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