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अप्रैल, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्राकृतिक सौन्दर्य साधन :और लाभ

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 नमस्कार पिछले पोस्ट में हमने केमिकल मिश्रित हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के बारे में पढ़ा जिनमे मौजूद हानिकारक रसायन तत्काल सुंदरता प्रदान तो करते है परन्तु इनका दूरगामी परिणाम काफी भयाभय होता है जो कई बीमारियों के साथ गंभीर चर्म रोग तथा कैंसर तक के सम्भावना पैदा कर सकते है। तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक बस्तुओं से भी हम नेचुरल रूप से चेहरे तथा बालों, शरीर की त्वचा आदि का उचित और सम्पूर्ण देखभाल कर सकते है तो आइये आज जानते है हमारे आसपास मौजूद आसानी से पाए जाने वाले प्राकृतिक वस्तुएँ जों हमें बिना किसी साइड इफेक्ट और हानि पहुचायें हमें खूबसूरत बनाने में मदद करती है चेहरे पे कालापन दूर करने के उपाय? गर्मीयों में धुप की वजह से या फिर अत्यधिक बाहर काम करने के कारण अगर त्वचा में कलापन आ गया हो तो निम्नलिखित घरेलु उपायों के द्वारा अपने चेहरे पे निखार ला सकतें है। 1* शहद और नीबू का रस बराबर मात्रा लेकर चेहरे पर लगा ले और थोड़ी देर सूखने के बाद इसे धो ले इस प्रक्रिया को नियमित करने पर प्राकृतिक रूप से चेहरे का कालापन दूर होता है 2*मसूर दाल और दूध को पेस्ट बनाकर चेहरे पे लगाना और थोड़ी देर सूखने पर धो ले

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति :होम्योपैथी

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  क्या होम्योपैथी विश्वासनीय चिकित्सा पद्धति है?(kya homeo pathic vishashniya upchar paddhati hai?) इस प्रश्न के उत्तरके लिए इस उपचार विधि के इतिहास में जाना होगा होम्योपैथी " समान इलाज" के सिद्धांत पर काम करता है जिसे समानता का नियम भी कहा जाता है होम्योपैथी का इतिहास( homeopathy ka itihas) होम्योपैथिक के संस्थापक जर्मन चिकित्सक समुअल हैनिमैंन (1755-1843)द्वारा 1796 में प्रस्तुत किया गया हैनिमेन ने इस सामान उपचार की विधि को होम्योपैथिक का नाम दिया ग्रीक भाषा के अनुसार होमियोस का अर्थ समान है तथा पाथोस का अर्थ है कष्ट हैनिमेन का मानना था की किसी बिशेष विष की शुक्ष्म सान्द्रता द्वारा उन्ही लक्षणों का इलाज किया जा सकता है जो उसकी बड़ी खुराक के कारण पैदा होते है हैनिमेन की उपचार विधि उनके समकालीन चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में कही अधीक सुरक्षित थी. यह प्र विधि तनुकरण पर आधारित  होने के कारण  कई बैज्ञानिक तथा डॉक्टरों द्वारा विशेष रूप से रसायन शास्त्रीयों द्वारा होम्योपैथिक उपचार विधि को सफल नहीं माना जाता है क्यों की तनुकरण की प्रक्रिया अकल्पनिय है यह काफी हद तक डाईल्यूट करने के

शुद्ध पानी के देश

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सबसे शुद्ध पिने के पानी वाला देश (sabse sudhh pani wala desh ) दुनिया का सबसे शुद्ध पिने के पानी वाले देशों में स्विर्ज़लैंड पहले स्थान में आता है इन देशों में क्रमशः निम्नलिखित देश शामिल है *स्विर्ज़ेरलैंड, जर्मनी, कनाडा, आइसलैंड,स्वीडेन, फिनलैंड , डेनमार्क,नोरवे, यू के, ग्रीनलैंड, इटली, आदि प्रमुख रूप से आते है पानी की गुणवत्ता की जाँच कैसे की जाती है? (Pani ki sudhhata ko kaise parkha jata hai?) अलग अलग देशों में पानी की गुणवत्ता को निर्धारण करने के लिए अपनी अपनी सस्थाएं होती है और उनके मानक दूसरे देशों से भिन्न होते है अमेरिका में पानी की गुणवत्ता इ पी ए (the us environment protection agency, EPA) द्वारा निर्धारित होता है  और भारत में पानी की शुद्धता मापन (the central pollution control board, CPBC) द्वारा होता है, इस तरह यह कार्य स्विट्ज़रलैंड में उनकी अपनी संस्था है। पानी की गुणवत्ता की जाँच मुख्य रूप से तीन बातों पे आधारित होता है भौतिक कारक, रासायनिक कारक, तथा जैविक कारक। भौतिक मापदंड पानी के गुणवत्ता की भौतिक मापदंड के अनतर्गत पानी के रंग, गंध, स्वाद,तापमान, टर्बोडिटी, सॉलिड (TSS)

डॉ.संन्दुक रुईत

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  कौन है डॉ. संन्दुक रुईत नमस्कार मित्रों आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में जानेंगे जिन्हे लोग लोग दक्षिण एशिया में आँखों के रोग के लिए भगवान से कम नहीं मानते है परिचय डॉ संन्दुक रुईत एक विश्व विख्यात दृष्टि रोग विशेषज्ञ है जिन्होंने अपना जीवन दृष्टिविहीन लोगों को उनकी आँखों की रौशनी लौटाने में समर्पित कर दिया।डॉ रुईत तिलगंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपथाल्मोंलॉजी के सह संस्थापक भी है जो नेपाल में सबसे बड़ी आँखों की हॉस्पिटल है रुईत ने अपने काम से विश्व में लाखों लोगों की आँखों की रौशनी लौटाने में मदद की है इस कार्य के लिए उन्हें विश्व भर से कई मान सम्मानों और पदवी द्वारा सम्मानित किये गए उनकी कहानी तथा उपलब्धियां हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है व्यक्तिगत जीवन तथा पारिवारिक विवरण डॉ. संन्दुक रुईत का जन्म नेपाल के दुर्गम जिला तापलेजूंग के वोलांग चुला गांव में 4 सितम्बर 1954 में हुआ था उनका बाल्यकाल बेहद ही संघर्ष पूर्ण रहा उनके पिता का नाम सोनम रुईत और उनके माता का नाम केसांग रुईत था उनकी पत्नी का नाम नंदा रुईत है उनकी दो बेटियां और एक पुत्र है तिब्बती संस्कारो के अनुसार उनके पिता ने उनका नाम संन्दुक रख

डायबीटीज क्या है

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डायबीटीज क्या है? शरीर को अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए ऊर्जा की आबस्यकता होती है जिसकी परिपूर्ति भोजन से होती है भोजन मे मौजूद प्रोटीन, फैट्स, और कार्बह्यडराट आदि के माध्यम से शरीर को ऊर्जा मिलती है इसमे भी शर्करा (ग्लूकोज )मुख्य है जो कार्बह्यडरट का एक अवयव है जो मुख्यतः चावल, आलू,दूध और दूध से बने परिकारों तथा मीठे पदार्थ, और फल, शर्करा (ग्लूकोज )के प्रमुख साधन है हमारे द्वारा किये गए भोजन मे मौजूद शर्करा जब रक्त मे पहुँचता है तभी रक्त उसे शरीर के बिभिन्न हिस्सों मे पहुंचाता  है रक्त मे शर्करा की मात्रा बढ़ने पर अगनाश्य द्वारा इन्सुलिन नामक हार्मोन उत्सर्जित होता है जो रक्तकोशिकाओ मे शर्करा को प्रबेश कराने का काम करती है भोजन न मिलने की अबस्था मे लिबर अपने अंदर संग्रहित वसा ( फैट )को शर्करा मे परिबर्तित कर के रक्त मे शर्करा के स्तर को बनाये रखने मे मदद करता है जिसमे भोजन नहीं रहने पर भी मांसपेशीओ को निरंतर ग्लूकोज की पर्याप्त मात्रा पहुँचती रहे। इस प्रकार रक्त मे शुगर का स्तर एक निश्चित सीमा मे ऊपर निचे होता रहता है जब यह इन्सुलिन कभी सामान्य रूप मे नहीं बनने पर मात्रा से अध