प्राकृतिक सौन्दर्य साधन :और लाभ

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 नमस्कार पिछले पोस्ट में हमने केमिकल मिश्रित हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के बारे में पढ़ा जिनमे मौजूद हानिकारक रसायन तत्काल सुंदरता प्रदान तो करते है परन्तु इनका दूरगामी परिणाम काफी भयाभय होता है जो कई बीमारियों के साथ गंभीर चर्म रोग तथा कैंसर तक के सम्भावना पैदा कर सकते है। तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक बस्तुओं से भी हम नेचुरल रूप से चेहरे तथा बालों, शरीर की त्वचा आदि का उचित और सम्पूर्ण देखभाल कर सकते है तो आइये आज जानते है हमारे आसपास मौजूद आसानी से पाए जाने वाले प्राकृतिक वस्तुएँ जों हमें बिना किसी साइड इफेक्ट और हानि पहुचायें हमें खूबसूरत बनाने में मदद करती है चेहरे पे कालापन दूर करने के उपाय? गर्मीयों में धुप की वजह से या फिर अत्यधिक बाहर काम करने के कारण अगर त्वचा में कलापन आ गया हो तो निम्नलिखित घरेलु उपायों के द्वारा अपने चेहरे पे निखार ला सकतें है। 1* शहद और नीबू का रस बराबर मात्रा लेकर चेहरे पर लगा ले और थोड़ी देर सूखने के बाद इसे धो ले इस प्रक्रिया को नियमित करने पर प्राकृतिक रूप से चेहरे का कालापन दूर होता है 2*मसूर दाल और दूध को पेस्ट बनाकर चेहरे पे लगाना और थोड़ी देर सूखने पर धो ले

तनाव नियंत्रण, जीवन जीने की कला

तनाव कैसे नियंत्रण करें?(#How to handle stress#)


आइये आज हम कुछ ऐसी एक संबेदनशील बिषय  पर चर्चा करेंगे जिसका नाम है तनाव। एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की 33% लोग  तिब्र रूप से तनाव पीड़ित है विश्व की आबादी का बड़ा भाग तनाब ग्रसित है क्या कारण है जो आज इस बीमारियों से बड़े बूढ़े और बच्चे समेत अछूते नहीं है


तनाव का क्या कारण है?  तनाब क्यों होता है?
तनाव एक प्रकार का मानसिक विकार है जो हमें सदा नकारात्मकता की और ले जाता है भाबनाये इस तरह से हावी हो जाते है की हमारा दिमाग़ इसे नियंत्रित नहीं कर पाता वास्तव मे तनाव हमारी अधूरी इच्छा ही होती है और किसी चीज के प्रति अधिक आसक्ति होना लगाब होना भी तनाव का कारण बन सकती है जब भौतिक बस्तुओ को जीबन से ज्यादा महत्व देना भी तनाव की बजह  बन सकती है कभी कभी तनाव बिना बजह भी होता है जब मस्तिष्क मे कोई विचार आता है और हम उसमे डूब जाते है जबकि स्थिति उसके बिपरीत होती है पर हम अपने नकारात्मक विचार को सच मान लेते है। जब किसी के प्रति आकांक्षाये हो और वह चीज  हमारे अनुरूप न होता हो तो भी यह स्थिति तनावदायक होती है अहंकार या किसी चीज का गर्ब होना भी तनाबदायक स्थिति है क्युकी कोई भी पूर्ण नहीं होता है जब हमें किसी चीज का गर्ब हो और उससे बेहतर चीज हमारे सामने आ जाये तो यह स्थिति भी मानसिक पीड़ादायक  होता है अपने आप को बहुत ज्यादा अहंकार से भर लेना या फिर अत्यधिक हिन् भाबना का शिकार  होना दोनों ही स्थितिया दुख पहुँचाती है 



तनाव का मानसिक रोग मे परिबर्तित होना
जीबन मे प्रति क्ष ण छोटे छोटे त्रुटिया होती रहती है। कई बार परिस्थितिया हमारे प्रतिकूल हो जाते है, आर्थिक समस्याओ का होना परिबारीक़ सम्बन्धो का अच्छा न होना बिद्यार्थीयों मे परिक्षा का डर कई बार भबिस्य की अत्यधिक चिंता करना बच्चों को लेकर चिंतित 
 रहना इस तरह  की कई बजह मानसिक रोग का कारण बनती है स्थिति तब जटिल बन जाती है जब हम इस तरह की अबस्था  से बाहर नहीं निकल पाते और अवसाद की स्थिति (anxity state) बन जाती है असली खेल अब सुरु होता है जब हम किसी एक ही नकारात्मक बिचार  के बारे मे सोचते रहते है और भीतर ही भीतर हजार बिचार चलते है जिसमे हम किसी के प्रति मानसिक रूप से क्रूर हो जाना उसी क्ष ण अपने आप को तुच्छ महशुस करना धिक्कार वाली भाबनाये आना शुरू हो जाती है
मानसिक अवसाद के लक्षण (#Symptoms of Anxity# )
कैसे पता करें की कोई व्यक्ति अवसाद मे है,? निम्नलिखित लक्षण या फिर व्यवहार द्वारा हम किसी व्याक्ति मे अवसाद की स्थिति को पता
ला लगा सकते है



हारा हुआ महशुस करना, आत्मविश्वास की कमी होना
•स्वयं को दोषी करार देना अयोग्य मानना
•सुबह के समय मे उदासी होना, प्रत्येक दिन थका हुआ कमजोर महसूस करना
•नींद की कमी होना या नींद नहीं लगने की समस्याओ होना
•निरंतर सोचते रहना नकारात्मक चीज़ो मे ध्यान जाना
•अत्यधिक क्रोध होना चिड़चिड़ापन
•खुद को हानि पहुंचाने वाले ख्याल आना 
•जीबन से निराश होकर आत्महत्या जैसी सोच होना या प्रयास करना अवसाद के गंभीर लक्षणो मे मना जाता है ऐसी स्तिथि मे मनोरोग विशेषग्य से संपर्क करने मे विलम्ब नहीं करना चाहिए
•कभी कभी  वंशानुगत गुणों  के अनुसार भी अबसाद के लक्षण दिखाई पड़ते है 

अवसाद से बाहर आने के उपाय (#How to come out from Anxity state#)
अवसाद की स्थिति से निकलने के लिए आत्मबल की आवश्यकता  होती है।भावनाओ को व्यक्त कर पाना चाहिए नकारात्मक हो या सकारात्मक दोनों ही व्यक्त करने पर हमें विश्राम मिलता है यदि व्यक्त करने की स्थिति नहीं हो तो कागज पे अपनी भावनाओ को लिखना और बार बार लिखना भी एक कारगर उपाय हो सकता है नकारात्मकता से बाहर निकलने का। मन के स्वभाव को समझें मन रुकने वाला नहीं है यह निरंतर  चलता ही रहता है अतः हमें ये समझना चाहिए की मन की चाल  को हम रोक नहीं सकते परंतु  दिशा  जरूर दे सकते है नकारात्मक विचार यानि गलत दिशा,मन जब भी गलत रास्ते पर जाता हो उसे रोककर सही दिशा की और ले जाना ही एक यौगिक प्रक्रिया है। सदैव वर्तमान की स्तिथि मे रहना चाहिए अक्सर अबसाद वाली स्थिति मे मनुष्य भूतकाल या भबिष्यत की चिंतन मे डूबा रहता है इसलिए वर्तमान  वाली स्थिति भूतकाल के पछताबे  और भबिष्य की चिंता मे नहीं होता है अपने आप को सदा व्यस्त रखें, क्योंकि खाली रहने पर मन अत्यधिक सोचविचार करता है अच्छी किताबें पढ़ना सगींत सुनना आदि मन को शांत करती है जीवन को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए छोटी छोटी चीज़ो मे खुशी ढूढ़ना, जरुरत मंद की मदद करना प्राकृतिक रचनाओं  का आश्वादन करना आपको बेहतर महशुस करने मे मददगार सिद्ध होंगी कभी कभी सामाजिक डर,,प्रतिष्ठा गुम जाने का डर इन सब से बाहर निकल कर सोचे,मनोचिकित्सक से सलाह लेने से नहीं हिचकिचाऐ क्योंकि मन भी बीमार होता है और उपचार से ठीक भी होता है मैडिटेशन, ध्यान अवसाद से बाहर निकलने के लिए रामवाण है मस्तिष्क मे रासायनिक असंतुलन (chemical imbalance )की प्रकिया को संतुलित करने के लीऐ, विशेष रूप से कुछ योग क्रियाओंद्वारा मस्तिष्क सम्बंधित सभी बीमारियों मे अभूतपूर्व सफलता  मिली है, इनमें से एक, प्राणायाम है जो स्वास सम्बंधित क्रिया है जिसे उचित गुरु के मार्गदर्शन मे करने पर मस्तिष्क सम्बंधित सभी जटिल समस्याओ से मुक्ति मिलती है



बिज्ञान के अनुसार मस्तिष्क रोग
बिज्ञान हमें बताती है की मनुष्य  मस्तिष्क मे न्यूरो केमिकल असंतुलित होना मानसिकरोगो का कारण है मनुष्य मस्तिष्क मे छह प्रमुख नुरोट्रान्समीटर होते है


सेरोटोनीन
यह रसायन  सुकून और शांति प्रदान कार्य करता है इसका स्तर काम होने पर अवसाद वाली स्तिथि सृजित होती है
•गुआटामेट
यह रसायन सिखने की क्षमाताओ को नियंत्रित करता है
•डोपामाइन
यह रसायन खुशी तथा सुकून प्रदान करने वाला होता है यह प्रेरक तथा क्षमता विकशित करने मे सहायक होता है
•एन्डओरफिन्स
यह रसायन आक्रमकता जुझारूपन संघर्ष बढ़ाने मे सहायक होता है 
नेरोड्रीनेलीन
यह रसायन एकाग्रता काम मे मन लगने कारक होता है 
•गाबा
यह रसायन सामंजस्य स्थापित करने मे सहायक है
इन सभी रसायनो मे असंतुलन होना ही मस्तिष्क सम्बंधित बिकारों को जन्मदिन देता है 

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