प्राकृतिक सौन्दर्य साधन :और लाभ

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 नमस्कार पिछले पोस्ट में हमने केमिकल मिश्रित हानिकारक ब्यूटी प्रोडक्ट के बारे में पढ़ा जिनमे मौजूद हानिकारक रसायन तत्काल सुंदरता प्रदान तो करते है परन्तु इनका दूरगामी परिणाम काफी भयाभय होता है जो कई बीमारियों के साथ गंभीर चर्म रोग तथा कैंसर तक के सम्भावना पैदा कर सकते है। तो ऐसे में कुछ प्राकृतिक बस्तुओं से भी हम नेचुरल रूप से चेहरे तथा बालों, शरीर की त्वचा आदि का उचित और सम्पूर्ण देखभाल कर सकते है तो आइये आज जानते है हमारे आसपास मौजूद आसानी से पाए जाने वाले प्राकृतिक वस्तुएँ जों हमें बिना किसी साइड इफेक्ट और हानि पहुचायें हमें खूबसूरत बनाने में मदद करती है चेहरे पे कालापन दूर करने के उपाय? गर्मीयों में धुप की वजह से या फिर अत्यधिक बाहर काम करने के कारण अगर त्वचा में कलापन आ गया हो तो निम्नलिखित घरेलु उपायों के द्वारा अपने चेहरे पे निखार ला सकतें है। 1* शहद और नीबू का रस बराबर मात्रा लेकर चेहरे पर लगा ले और थोड़ी देर सूखने के बाद इसे धो ले इस प्रक्रिया को नियमित करने पर प्राकृतिक रूप से चेहरे का कालापन दूर होता है 2*मसूर दाल और दूध को पेस्ट बनाकर चेहरे पे लगाना और थोड़ी देर सूखने पर धो ले

बच्चो मे होने वाली सामान्य बीमारियां


नमस्कार दोस्तों जैसा की आपको पता है बच्चों मे स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं आम है जो मौसम परिबर्तन अपने साथ कुछ स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याये बच्चों मे लेकर आती है |मुख्य रूप से आज हम बच्चों मे होने वाली प्रमुख स्वास्थ्यसम्बन्धी समस्याओ और उनके कारण और निदान के बारे मे चर्चा करेंगे |



बच्चों मे होनेवाली प्रमुख सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं



•निमोनिया



•डायरिया 



•मलेरिया 



•टायफायड 



•इन्फेलुजा 



•तपेदिक



बच्चों मे होनेबाली मुख्य बीमारियों का कारण










निमोनिया अक्सर फ़्लू और वायरल संक्रमण जैसी बीमारियों 



 के जटिलतम स्थितियों मे विकसित होता है 



आरएसबी (रेस्पिरेटरी सिंकिटीएल वायरस )5वर्ष से कम उम्र के बच्चों मे सर्वाधिक देखा जाने वाला वायरस है बच्चों मे खांसी बुखार, पसीना और ठण्ड लगाना सांस लेने मे तकलीफ इस तरह के लक्षण दिखने पर यथाशीघ्र चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए घरेलू तथा प्राथमिक उपचारों। मे हल्दी बाली दूध, तुलसी सहद का काढ़ा बिशेष तह उचित मात्रा मे बच्चे के उम्र अनुसार दे सकते है












डायरिया के प्रमुख कारणों मे दूषित खानपान और प्रदूषित वातावरण होता है। डायरिया पैदा करने के लिए प्रमुख रूप से रोटा नामक वायरस जिम्मेदार होता है छोटे बच्चों मे यह समस्या कभी कभी दांतो के निकलने की वजह से भी हो सकती है। लम्बे समय से एंटीबायोटिक लेने पर भी यह समस्या हो सकती है












मलेरिया प्लाज्माडियम परजीवी के कारण होनेवाली स्थिति है जो मादा एनोफलीज़ मच्छरो के काटने पर फैलता है












टायफायड बुखार एक प्रकार का संक्रमण है जो सल्मोनीला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है इस बैक्टीरिया से युक्त पानी या प्रदूषित खाना खाने की वजह से टायफायड होता है












इन्फेलुइंज़ा फ़्लू वायरस के कारण फैलने वाली बीमारी है जो भिन्न भिन्न प्रकार के वायरस से फैलती है












तपेदिक माइक्रोबैक्टीरियम टूबेरक्यूलोसिस नामक जिबाणु के कारण हवा के माध्यम से फैलता है











बच्चों मे होनेवाली बीमारियों का प्राथमिक उपचार










निमोनिया जैसा की यह श्वास प्रश्वास सम्बन्धी बीमारी है, अतः इसमें हल्दी वाली दूध, तुलसी अदरक और शहद का काढ़ा काफ़ी आराम देने वाला होता है बिशेषकर कुछ फल जो हमारी प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने मे मदद करने वाले हो खा सकते है



डायरिया,मे एक गिलाश पानी मे शक़्कर चुटकी भर नमक और निम्बू की कुछ बुँदे मिलाकर पिलाते रहना चाहिए, नारियल पानी भी एक अच्छा बिकल्प है, छाछ मे काली नमक मिला कर पीना भी लाभदायक होता है












मलेरिया,एक बेहद ही गंभीर बीमारी है इसकी पुस्टि होते ही मरीज़ को आराम की जरूरत होती है चिकित्सक के सलाहनुसार निर्देशों का पालन करते हुए उचित दवाओं का सेवन करना चाहिए उचित मात्रा मे पानी पीना चाहिए अतः बचाव ही उपाय है के नियम को मानते हुए मलेरिया फैलने से रोकना चाहिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें अपने आस पास पानी जमने नहीं दे साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें












टायफायड,जैसा की हम जानते है यह एक संक्रामक बीमारी है अतः संक्रमण को फैलाने से रोकने वाले उपायो को अपनाना ही बेहतर होता है तुलसी तथा सहद भी इसमें आराम दायक होता है साफ तथा उबले हुए पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए कच्चे फल तथा सब्जियाँ खाने से बचना चाहिए डिब्बा बंद खाद्य पदार्थो का उपयोय नहीं करना चाहिए फलों के रश का इस्तेमाल करना बेहतर होता है हल्का तथा सूपाच्य भोजन करें सहजन के पत्ते तथा फली टायफायड के रोगियों के लिए अमृत सामान है पत्तियों को पानी मे उबालकर या फिर हल्का भूनकर उपयोग कर सकते है फलियों का सुप बनाकर लिया जा सकता है 




इन्फेलूंजा, बिभिन्न प्रकार के वायरस द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के फ़्लू जो साधारणतः सर्दी, जुकाम,खासी आदि के कारण होते है कई बार मौसम के बदलते ही लोगो मे फ़्लू के संकेत दिखने लगते है। इसके लिए हमें अपने इम्युनिटी सिस्टम ओर बिशेष ध्यान देना चाहिए मौसमी फलों और सब्जियों का भरपूर इस्तेमाल करना इन्फेलुइंज़ा की स्थिति मे शरीर मे पानी की कमी हो जाती है इसलिए कुछ तरल पे य पढ़ार्थो का इस्तेमाल करना चाहिए अजवाइन की पानी का निरंतर उपयोग उत्तम होता है अदरक और तुलसी का काढ़ा तथा हल्दी वाला दूध अति उपयोगी होता है 




तपेदिक कई कारणों से आज यह एक गंभीर समस्या का रूप लेता जा रहा है, इसे क्ष य रोग टी बी आदि नामो से भी जाना जाता है फेफड़े की संक्रमण इसके गंभीर लक्षणो मे एक है मुलेठी की छोटे टुकड़े को मुँह मे रखकर चूसना लाभदायक होता है लौकी के जूस मे काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर पिना चाहिए गाय के सुद्ध घी का इस्तेमाल करना अच्छा मना जाता है भोजन मे खिचड़ी का सेवन करें साबुत अनाजो का उपयोग करना चाहिए दूध तथा पनीर का उपयोग बेहतर होता है मांसाहार से बचना चाहिए तले भुने और बासी खाने की चीज़ो के इस्तेमाल से बचना चाहिए नियमित चिकित्सक से परामर्श

























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